महामृत्युंजय मंत्र ऋग्वेद का एक श्लोक है.शिव को मृत्युंजय के रूप में समर्पित ये महान मंत्र ऋग्वेद में पाया जाता है.स्वयं या परिवार में किसी अन्य व्यक्ति के अस्वस्थ होने पर इस मन्त्र का जाप अत्यंत फलदायी है |यह मन्त्र हर प्रकार की बाधाओ का निवारण करता है |
|| महा मृत्युंजय मंत्र ||
ॐ त्र्यम्बक यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धन्म। उर्वारुकमिव बन्धनामृत्येर्मुक्षीय मामृतात् !!
||संपुटयुक्त महा मृत्युंजय मंत्र ||
ॐ हौं जूं सः भूर्भुवः स्वः त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् भूर्भुवः स्वः रों जूं सः ह्रों ॐ !!
महा मृत्युंजय मंत्र का पुरश्चरण सवा लाख है | परन्तु एक पंडित 2500 मन्त्र जप ही एक दिन में कर पाता है इसलिए लोग अपनी सुविधा अनुसार 11000,21000, 31000,51000 का भी जाप कराते है |इस मंत्र का जप रुद्राक्ष की माला से शिव वास देखकर शुरू किया जाता है|आप अपने घर पर महामृत्युंजय यन्त्र या किसी भी शिवलिंग का पूजन कर जप शुरू कर सकते है या हमारे आचार्यो की सेवा लेकर करा सकते है |अथवा आप ऑनलाइन दूरभाष पर संकल्प देकर करा सकते है | अंत में हवन किया जाता है |
ग्रहबाधा, ग्रहपीड़ा, रोग, जमीन-जायदाद का विवाद, हानि की सम्भावना या धन-हानि हो रही हो, वर-वधू के मेलापक दोष, घर में कलह, सजा का भय या सजा होने पर, कोई धार्मिक अपराध होने पर और अपने समस्त पापों के नाश के लिए महामृत्युंजय मंत्र का जाप किया या कराया जा सकता है.
|| महामृत्युंजय मंत्र का प्रभाव ||
महामृत्युंजय मंत्र शोक,मृत्यु भय,अनिश्चता,रोग,दोष का प्रभाव कम करने में,पापों का सर्वनाश करने में अत्यंत लाभकारी है.महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना या करवाना सबके लिए और सदैव मंगलकारी है,परन्तु ज्यादातर तो यही देखने में आता है कि परिवार में किसी को असाध्य रोग होने पर अथवा जब किसी बड़ी बीमारी से उसके बचने की सम्भावना बहुत कम होती है,तब लोग इस मंत्र का जप अनुष्ठान कराते हैं.महामृत्युंजय मंत्र का जाप अनुष्ठान होने के बाद यदि रोगी जीवित नहीं बचता है तो लोग निराश होकर पछताने लगे हैं कि बेकार ही इतना खर्च किया.
यहां पर मैं एक बात कहना चाहूंगा कि मेरे विचार से तो इस मंत्र का मूल अर्थ ही यही है कि हे महादेव..या तो रोगी को ठीक कर दो या तो फिर उसे जीवन मरण के बंधनों से मुक्त कर दो.अत: इच्छानुसार फल नहीं मिलने पर पछताना या कोसना नहीं चाहिए.अंत में एक बात और कहूँगा कि महामृत्युंजय मन्त्र का अशुद्ध उच्चारण न करें और महा मृत्युंजय मन्त्र जपने के बाद में इक्कीस बार गायत्री मन्त्र का जाप करें ताकि महामृत्युंजय मन्त्र का अशुद्ध उच्चारण होने पर भी पर अनिष्ट होने का भय न रहे|
एस्ट्रो गृह की सेवा – एस्ट्रो गृह के आचार्यो द्वारा शुभ तिथि, मुहूर्त में आपकी कामना के अनुरूप महामृतुन्जय जप एवं हवन किया जाता है |एवं आपको प्रसाद व चित्र भेजा जाता है |
दक्षिणा – 125000 मन्त्र जप – 150000.00
51000 मन्त्र जप- 75000.00
31000 मन्त्र जप- 41000.00
21000 मन्त्र जप- 31000.00
11000 मन्त्र जप- 15000.00